शनिवार, 8 मई 2010

क्या भारत की दसा से आप संतुष्ट है!

यदि राय दे दी जायेगी तो भारत की दशा मे कहीं परिवर्तन न हो जाये और जो कुछ लोगो पर जो जुल्म हो रहे वह कहीं कम न हो जाये हम सड़क पर केले का छिलका तो फेंक सकते है,परन्तु सड़क पर पड़े छिलके को उठा नहीं सकते क्योंकि यदि उस छिलके तो उठा देगे तो लोग फिसलेगें नहीं और हमें तो किसी को गिराने में ही आनन्द आता है क्या करें वर्तमान समय ही ऐसा चल रहा है और यदि हम समय के अनुरुप नहीं चलेगे तो लोगो की नज्ररो में हम पागल की श्रेणी में गिने जायेगें क्योकि पागल की श्रेणी में वही लोग आते है जो समाज से अलग हटकर कार्य को करते है चाहें वे काम उचित व सही हो पर उस कार्य को करने वाले अच्छी नजरो से नहीं देखे जाते इसीलिये शायद आज भले लोग भी केले का छिलका सड़क से उठाकर उसे उसके निर्धारित स्थान पर नहीं पहुॅंचाते, कैसी बेबसी है। समाज के कुछ लोगो की तो छठी में ही पुजा है लोगो को सताना परन्तु चन्द बचे भले लोग भी अपनी मानसिकता को क्यों बदल रहें है क्या वे समाज से है या समाज उनसे है,कभी इन लोगो ने ऐसा कभी सोचा।क्या कोई किसी के कहने से पागल हो सकता यह विधान तो सिर्फ उस परमपिता परमेश्वर के हाथ में है जो हमको संचालित कर रहा है तब भी ऐसी बेबसी क्यों,वैसे मेरी सोच के अनुसार समाज का हर प्राणी पागल है कोई किसी पगलई मे जीवन व्यतीत कर रहा है और कोई किसी में किसी भी जीवन जीने का सार्थक उददेश्य नहीं है यदि सार्थक उददेश्य होता तो कदापि समाज में यह अव्यवस्थायें न होती तूॅं मेरे सुख दुख में शरीक होता और मैं तेरे में,ऐसे में परेशानी भी डरती कि सब एक है कही नई विपदा न खड़ी कर दे क्योंकि विपदाओं से सभी डरतेे है क्योकि भीड़ में वह ताकत होती जो अच्छे अच्छे को अपना मोहताज बना देती है तो यह क्या चीज है शायद इसीलिये आज के नेतागण भीड़ को बढ़ावा देकर भीड़ जुटाने के लिये रैलियां आायोजित करते है।यदि वे समाज के लिये कुछ ऐसे कृत्य करें जिनसे समाज में पनप रही अव्यवस्थायें स्वतः समाप्त होती जायें तो ऐसे में नेताओ के लिये भीड़ भी स्वयं इकठठी भी होगी और संगठित भी और ऐसे संगठन को कोई भी नहीं तोड पायेगा उसकी जडे वट वृक्ष की तरह मजबूत होगी।वट वृक्ष की बात तो तब करे जब हमने अपने आस पास एक भी साधारण पेड़ लगाया हो क्या आप पेड़ लगाने में विश्वास रखते है आपका लगाया हुआ पेड़ क्या वट वृक्ष हो सकता है यदि हो सकता तो बताइये न कैसे तो देर किस बात की है अपने कम्प्यूटर पर बस थोड़ी सी मशक्कत कीजियें और अपने विचारो से लाभान्वित करवाइयें।

1 टिप्पणी:

  1. भारत की दशा पर एक अच्छा लेख, पुलिस का कार्य अभी भी अत्यधिक निंदनीय

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