शनिवार, 22 मई 2010

क्या भारत की इस दसा से आप सनतुषट है!

बस सबसे बड़ी कमी हममें महसूस करने की ही तो है यदि यह होती तो क्या हमारे भारत की ऐसी दशा होती जो सोने की चिड़िया के नाम से विख्यात था उस देश में छत पर एक चिड़िया देखने के लिये भी तरसना होता है जरा सोचिये क्या कारण रहे होगे ऐसा होने के।यदि उत्तरदायित्व निर्धारण की बात करे तो बहुत बड़े दोषी हम है हमने कभी भी बुजुर्गो की दी गयी प्रसिद्धि को संजोकर नहीं रखा यह सोचा की यह तो इसी प्रकार बनी रहेगी क्या कोई भी सजीव या निर्जीव चीज अपने आप बनी रह सकती है यदि बनी रह सकती होती तो शायद आज स्थितियां भिन्न होती जब तक हम किसी भी चीज की भली भॅंाति देखभाल नहीं करेगें तो वह विलुप्त हो ही जायेगी क्या हमने यह सोचा कि जो चीजे हमें लाभदायक लग रही है उन चीजो का भोग करने के दूरगामी परिणाम क्या होगे हमें किसी भी कार्य अथवा नयी शुरुआत से पहले उसके गुण दोषो का परीक्षण अवश्य करना चाहियें तभी हमे उस चीज को भोगना चाहियें अन्यथा भविष्य में हमें उसके दुष्परिणाम भुगतने होगे आज हम जब दुष्परिणामों तक की विधा तक पहुॅंचते है तो हमें याद आता है कि अरे यह हमने क्या किया नित्य हम वनो को उजाड़ कर अपने ठिये बनाते चले जा रहे है इससे एक ओर पेड़ो का कटान तो हो ही रहा है वही दूसरी ओर वनो में जो जीव जन्तु रहते ही उनके ठियो को हम उजाड़ रहे है इससे हमारे देश में जीव-जन्तुओ की विभिन्न बहुमूल्य प्रजातिया लुप्त होती जा रही है जो हमारे देश ही शान हुआ करती थी उनसे हम विमुख होते जा रहे है यदि यही सिलसिला रहा तो एक दिन पृथ्वी पर सबकुछ होगा परन्तु चैन नहीं होगा क्योंकि हर चीज की अपनी जगह आवश्यकता होती है जीव जन्तुओ का भी होना अतिआवश्यक है शायद इसीलिये प्रकृति ने जीव जन्तुओं को उत्पन्न किया और हम प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कर रहे है तो ऐसे में प्रकृति की रुष्टता के कोपभाजन को तो हमें भोगना ही होगा वही हो रहा है,यदि हमें बसने का हक है तो किसी को उजाड़नें का तो हक नहीं है और यदि हमें बसना ही है तो बसे बसाये को कही अन्यत्र बसाकर स्वये बसे तभी हम निर्विघ्न रुप से बस पायेगें अन्यथा बस तो जायेगें लेकिन उन उजड़े हुये लोगो की आहें हमें तड़पाती रहेगीं तो क्या आप तड़पना चाहते है या बसना चाहता ह,ै खुद भी जियो औरो को भी जीने दो को लागू करना चाहेगें यदि चन्द शब्दो के द्वारा जनजाग्रति करने का एक छोटा सा प्रयास किया जा सकता है तो आप भी इस मुहिम में शामिल होकर हमें कृतार्थ कर सकते है जहाॅं हम कृतार्थ होगें वही आपके अमूल्य विचारो से आमजन भी लाभान्वित होगें तो देर किस बात की है माध्यम् है आपका अपना कम्प्यूटर और इन्टरनेट

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