गुरुवार, 6 मई 2010

क्या भारत की इस दसा से आप संतुष्ट है !

आप जरुर सोच रहे होगे कि यदि हमारे चाहने से वही होने लगे कि जो हम चाहते है तब हम अपने चाहने की लिस्ट प्रकाशित करवा कर उसका प्रचार करते परन्तु आप गलत सोच रहे है कत्र्ता आप है, भरता भी आप है बस आनन्द बिहार दूसरे लोग करते है क्योकि आप जो करते है वह कर कर भूल जाते है कि हमने किसके लिये क्या किया और जिसके लिये हमने किया उसनेे हमारे लिए क्या किया यही बात घ्यान न देने के कारण हम दुष्परिणामों को भरते यानी भुगतते है तब तक काफी देर हो चुकी होती है और जिसके लिये हमने सब कुछ किया वह आनन्द बिहार करता है और हम फिर सोचते है कि भविष्य में ऐसा नहीं करेगें जो हमने किया परन्तु फिर जब वे हमारे दरवाजे पर दस्तक देते है तो फिर हम यह भूल जाते है कि इस आनन्द बिहार के चक्कर में मान्यवर अपनो को ही भूल गये थे जिनके कारण आज बिहार कर रहे है उन्हे भूलने पर क्या वे बिहार कर पायेगंें ऐसा न हो जाये कि यह बिहार ही हार बन जाये तो ऐसे आनन्द बिहारियों को जरुर सोचना चाहिये कि भारतवर्ष केे कत्र्ताओ के बलबूते हम यह मजे लूट रहे है उनके प्रति भी हमारा कुछ फर्ज है क्या हम उस फर्ज को पूरा कर भी रहे है अथवा नहीं और यदि नही ंतो क्यों जिस दिन तक यह भावना विकसित नहीं होगी उस दिन तक यह अव्यवस्थायें हमसे रुबरु होती रहेगी और हम भी अपनी करनी पर पछताते रहेगेे कि इस बार किया तो किया अगली बार ऐसा नहीं करेगे परन्तु आजकल हो इसका उल्टा रहा न वे बदले और न हम बदले और बदलना सब चाहते है तो भाई वगैर बदले कैसे बदलाव आयेगा इसके लिये किसी को तो बदलना ही होगा चाहे वे बदल जाये चाहे हम और यदि किसी के भी न बदलने का यही क्रम चलता रहा तो सबकुछ बदल जायेगा बस न बदलने वाले लोग व आनन्द बिहारी लोग भी मात्र दर्शक होगे न कि आनन्द बिहारी।क्या करे यह सोचनें की भी प्रवृति अजीब है जो कुछ न कुछ सोचने को मजबूर करती है इससे तो वे लोग अच्छे है जो कुछ नहीं सोचते बस करते है परन्तु क्या करे कुछ करने के लिये सोचना भी आवश्यक है यदि सोचेगें नही ंतो होगा कैसे तो जितना आवश्यक सोचना है उतना ही आवश्यक करना यह दूसरी बात है कि हम भारतवाशी सोचते ज्यादा है और करते कम जिस दिन जितना सोचेगें उतना करेगें वाली सोच विकसित हो जायेगी उस दिन निश्चित ही भारत में भारत नहीं होगा और न कोई भारत की तरफ उॅंगली उठा पायेगा तो देर किस बात की है अभी सोचियें और अपने मनोभाव को प्रकट कीजिये की आपकी क्या राय है।

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